June 25, 2025

विश्वम्भरपुर में श्रद्धांजलि सभा एवं ज्ञानचनी का आयोजन

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विश्वम्भरपुर में श्रद्धांजलि सभा एवं ज्ञानचनी का आयोजन

गाजीपुर जनपद के बाराचवर ब्लॉक के अन्तर्गत विश्वम्भरपुर गाँव में शिवानंद राय की माता शिवमूर्ति देवी के निधन पर कश्यपगोत्रीय किनवार भूमिहार वंश के प्रचलित भोज ‘ज्ञानचनी’ का आयोजन किया गया।, जिसमें इक्कीस गाँवों के सगोत्रीय भाई एवं रिश्तेदार उपस्थित हुए।

इस अवसर पर एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुआ, जिसमें बिरादरी के संगठन और सहयोग पर एक विचार गोष्ठी हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मदनगोपाल राय एवं संचालन राजेश राय पिंटू ने किया। गोष्ठी में बोलते हुए के.एन.राय ने कहा कि योग से सब कुछ प्राप्त हो सकता है क्योंकि इससे योग्यता आती है।

उन्होंने भूमिहारों के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर विस्तार से चर्चा किया। अवधेश नारायण राय ने संगठन के माध्यम से समाज के झगड़ो के निपटारे के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव दिया। नर्वदेश्वर राय ने मानव के वैज्ञानिक विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीव की उत्पत्ति जल से हुई है तो मानव में भी जलीय जीव मछली के कई गुण विद्यमान है। डा.रजनीश राय ने समाज के एकता और समरसता के लिए काम करने पर बल दिया। राजेन्द्र राय ने कहा कि सामाजिक व्यक्ति को अपमान से नहीं घबड़ाना चाहिए।

इससे व्यक्ति का मान अप होता है। हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। पूर्व सैनिक पी एन राय ने बालकों के साथ बालिकाओं को भी खेल,संगीत आदि से जुड़ने और सेना में जाने पर जोर दिया। मुक्तिनाथ राय ने संगठन के विस्तार और एकीकरण के कार्यों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जल्द ही केन्द्रीय कमेटी का गठन करके हम एक बड़ा कार्यक्रम करेंगे,जिसमें बिरादरी के सर्वांगीण विकास की रूपरेखा खींची जायेगी।

अन्य वक्ताओं में विद्यानंद राय, राजेश राय, अमित राय,अमरनाथ राय,जितेंद्र राय आदि ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में धीरेश राय पप्पू, राजेश राय,पप्पू राय, मृत्युंजय राय,राजेश्वर राय.प्रत्युष राय.दिनेश राय गुड्डू ,पारसनाथ राय,
भोला राय,विशाल शेखर राय, शशिकांत राय,
श्री प्रकाश राय, जितेन्द्र राय,इन्द्रासन राय प्रधान
आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही।
सभी आगंतुकों का अंगवस्त्र भेंट कर सम्मान एवं सभी के प्रति आभार शिवानंद राय के द्वारा ब्यक्त किया गया।
द्रष्टव्य है कि विश्वम्भरपुर तक्षक बाबा का गाँव के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ किसानों के मसीहा के नाम से विख्यात दण्डी स्वामी सहजानंद सरस्वती का भी काफी दिनों तक वास रहा। गोष्ठी में बुल्लू राय के द्वारा इस गाँव में उनकी एक मूर्ति बनाने का प्रस्ताव आया, जिस पर बहुत से लोगों ने हामी भरी।

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