*कथा से संस्कार. मर्यादा. विनम्रता. कर्मठता. सहनशीलता आदर व मधुर भाषा का ज्ञान मिलता है-जीयर स्वामी*

*कथा से संस्कार. मर्यादा. विनम्रता. कर्मठता. सहनशीलता आदर व मधुर भाषा का ज्ञान मिलता है-जीयर स्वामी*
कथा सृष्टि का सार एवं मानवता का संस्कार है। कथा सुनने से मानव जीवन को सीख मिलती है। कथा से संस्कार, मर्यादा सहनशीलता, विनम्रता, कर्मठता, आदर व मधुर भाषा का ज्ञान मिलता है। उक्त बाते बलिया जनपद के जनेश्वर मिश्रा सेतु के समीप चातुर्मास ब्रत के दौरान श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के शिष्य पूज्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी ने प्रवचन में कही। स्वामी जी ने कहा की ब्रह्मा जी ने श्रृष्टि की रचना करते वक्त धरती पर अनेकानेक जीवों की श्रृष्टि की।सभी जीव एक दूसरे के पूरक हैं।अन्य जीवों की तरह मनुष्य में सोचने समझने की शक्ति ज्यादा होती है।लेकिन वर्तमान में धनलोलुपता के आगे लोग धर्म से अलग होते जा रहे हैं।फलस्वरूप सुख के बजाय दुख का समावेश होता चला जाता है।
श्रीमद्भागवत. रामायण. गीता.महाभारत. उपनिषद पुराण सहित सभी धर्म ग्रन्थों में मनुष्य को मर्यादा और संस्कार के साथ जीने की नसीहत दी गयी है।वर्तमान समय में कई मनुष्य पशु की तरह जीवन जी रहे हैं।मनुष्य का काम केवल संतान पैदा करना नहीं है वल्कि उनको संस्कार और मर्यादा का पाठ पढाना भी है।
शादी विवाह जैसे कार्यक्रमों में लोग खडा होकर पशु की तरह भोजन करते हैं।
मनुष्य को रामायण.महाभारत. गीता पुराण जैसे धर्म ग्रन्थ पढना चाहिए।सभी घरों में बच्चों से लेकर बडो तक को धर्म ग्रन्थों को पढाया जाये तो बहुत हद तक समाज में कटुता को समाप्त किया जा सकता है।संस्कार और मर्यादा के कारण ही भारत की पहचान पूरे विश्व में है।आज पश्चिमी देशों के लोग भारत की सभ्यता संस्कृति पहनावा संस्कार और मर्यादा को अपना रहे हैं।जबकि भारत के लोग पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे हैं।