संसद में अशोक स्तंभ पर नया विवाद, सरकार ने दिया जवाब

संसद में अशोक स्तंभ पर नया विवाद, सरकार ने दिया जवाब
नए संसद भवन के निर्माण के वक्त से ही लगातार विरोध कर रहे विपक्षी दलों ने अब भवन के ऊपर स्थापित अशोक स्तंभ के मूल स्वरूप से अलग होने और शांत सौम्य शेरों की जगह गुस्सैल शेर प्रदर्शित करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने इसे राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान बताते हुए तत्काल बदलने की मांग की है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राजद नेताओं की ओर से व्यंग्य किया गया कि अशोक काल की मूलकृति की जगह निगल जाने की प्रवृत्ति का भाव है। एक दिन पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन के ऊपर सामने की ओर अशोक स्तंभ की प्रतिकृति (राष्ट्रीय चिह्न) का अनावरण किया था। पूजा-अर्चना भी की गई थी और विपक्षी दलों ने इस पर सवाल खड़ा किया था।
विपक्षी नेताओं ने कहा था कि संसद सरकार की नहीं होती, लिहाजा अनावरण लोकसभा अध्यक्ष को करना चाहिए था।
सरकार ने दिया जवाब
जवाब में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने भी दोनों का फोटो ट्वीट करते हुए समझाया कि यह फर्क क्यूं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि यह देखने वाले की आंखों पर निर्भर करता है कि वह क्या देखना चाहता है। सारनाथ की मूलकृति 1.6 मीटर की है जबकि संसद पर लगी कृति 6.5 मीटर की है। अगर इसे सारनाथ के आकार में ही कर दिया जाए तो दोनों बिल्कुल एक जैसे लगेंगे। संसद भवन पर स्थापित अशोक स्तंभ 33 मीटर की ऊंचाई पर है। वहां मूल कृति के आकार की कृति लगाने से कुछ भी नहीं दिखता। लिहाजा बड़ी कृति लगाई गई है। अगर अशोक स्तंभ की मूलकृति को भी नीचे से देखा जाए तो वह उतनी ही सौम्य या गुस्सैल दिख सकती है जिसकी अभी चर्चा हो रही है।
भाजपा के इंटरनेट मीडिया प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि आलोचक प्रिंट में निकाली गई 2डी इमेज की विशालकाय 3डी इमेज के साथ तुलना कर रहे हैं, इसीलिए भ्रमित हैं।