June 24, 2025

आडिशा: जय जगन्नाथ से गूंजी पुरी,भगवान जगन्नाथ की 9 दिवसीय रथयात्रा शुरू

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आडिशा: जय जगन्नाथ से गूंजी पुरी,भगवान जगन्नाथ की 9 दिवसीय रथयात्रा शुरू

ओडिशा (Odisha) के पुरी (Puri) में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के अलावा चक्रराज सुदर्शन के ककविशालकाय रथों के साथ शुक्रवार को नौ दिवसीय रथयात्रा (Rath Yatra) उत्सव आरंभ हो गया.

इस दौरान लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने ‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरिबोल’ का उद्घोष किया. घंटे, ढोल, मंजीरे और नगाड़ों की ध्वनि से आकाश गूंज उठा तथा सिंहद्वार के आसपास एकत्र हुए देशभर से आए श्रद्धालुओं ने रथों पर सवार देव प्रतिमाओं के दर्शन किये. गौरतलब है कि गत दो साल महामारी के दौरान रथयात्रा उत्सव का आयोजन नहीं हो सका था.

रथयात्रा के आयोजन के लिए जिला प्रशासन और ओडिशा पुलिस की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर इस पर्व का आयोजन किया जाता है जिसमें भगवान जगन्नाथ और उनके भाई तथा बहन गुंडिचा मंदिर में नौ दिन के लिए ठहरते हैं. भगवान विष्णु को समर्पित 12वीं शताब्दी के मंदिर में तय समय से पहले सभी अनुष्ठान किये गए और इस दौरान सेवादारों के बीच उत्साह देखा गया. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि देव प्रतिमाओं को गर्भगृह से रथ तक ले जाने का अनुष्ठान ‘पहंडी’ सुबह साढ़े नौ बजे होना था लेकिन वह सात बजे ही शुरू हो गया. उन्होंने बताया कि मंगला आरती, अवकाश, शाकला धूप और मंगलार्पण भी तय समय से पहले किया गया.

देव प्रतिमाओं की पहंडी की प्रक्रिया सुबह नौ बजे तक पूरी हुई

पहले ‘बड़ा ठाकुर’ या भगवान बलभद्र को गर्भगृह से बाहर लाया गया, इसके बाद देवी सुभद्रा फिर भगवान सुदर्शन और उसके बाद भगवान जगन्नाथ को धड़ी पहंडी के तहत रथों पर आसीन किया गया. सभी देव प्रतिमाओं की पहंडी की प्रक्रिया सुबह नौ बजे तक पूरी हुई. देव प्रतिमाओं को उनके रथों- तालध्वज, दर्पदलन और नंदीघोष पर तय समय से पहले ही आसीन किया गया. परंपरा के अनुसार, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने कुछ शिष्यों के साथ रथों पर देव प्रतिमाओं के दर्शन किये.

सोने की झाड़ू से रथों का मार्ग साफ करने की रस्म अदा हुई

इसके बाद पुरी के ‘राजा’ गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने सोने की झाड़ू से रथों का मार्ग साफ करने की रस्म अदा की, जिसके बाद रथों को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ओडिशा के राज्यपाल गनेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने लोगों को रथयात्रा उत्सव की शुभकामनाएं दीं.

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