June 23, 2025

ब्रह्म को जानने के लिये जरूरी है धर्म रूपी उपकरण-जीयर स्वामी

IMG-20220701-WA0000

ब्रह्म को जानने के लिये जरूरी है धर्म रूपी उपकरण-जीयर स्वामी

 

बलिया में प्रवचन करते हुए श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि धर्म की जिज्ञासा के बाद ब्रह्म की जिज्ञासा करनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि बिना धर्म को जाने ब्रह्म की खोज कठिन होती है। भूमि में छुपी खनिज-सम्पदा एवं दूध में मिले पानी को नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता, इसके लिए उपकरण की आवश्यकता होती है। उसी तरह ब्रह्म को जानने के लिये धर्म रूपी उपकरण बहुत जरूरी है। जैन धर्म सनातन से है, परन्तु सनातन धर्म-दर्शन नहीं स्वीकारने के कारण सर्वमान्य नहीं हो पाया। सनातन धर्म दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। श्री जीयर स्वामी ने आगे अपने संबोधन में कहा कि मानव जीवन में शरीर से कर्म होता है, जिसे मन संचालित करता है। मन को नियंत्रित रखना चाहिए। अंगुलिमाल का शरीर वही रहा, लेकिन मन के बदल जाने से वह अहिंसा का पुजारी बना। श्री जीयर स्वामी जी ने कहा कि एक बार राजा जनक आत्म ज्ञान प्राप्त करने के लिये एक सभा बुलायी। उन्होंने कहा कि अल्प समय में जो आत्मज्ञान करायेगा, उसे आधा राज दे देंगे। विद्वानों ने अलग-अलग राय दी, तब राजा जनक संतुष्ट नहीं हुए। सभा में पहुंचे अष्टावक्र को देख सभी लोग हँस दिये, क्योंकि उनके सभी अग टेढे थे। अष्टावक ने कहा कि किसी का शरीर देखकर उपाहास नहीं करनी चाहिये। उसका गुण देखना और जनाना चाहिए। राजा जनक जी भी क्षमा याचना किये। अष्टावक्र जी ने घोड़ा मंगाया और राजा जनक से कहा कि एक पैर रिकाब में रखिये और मेरा दक्षिणा दीजिए। जनक ने अपना आधा राज और शरीर देने की बातें कहीं। अष्टावक्र ने कहा कि ये दोनो आप के नहीं हैं। आप उपयोगकर्ता है। राज की सपदा प्रकृति और प्रजा की है। शरीर पंचभूत से बना है, जिसपर पत्नी का भी अधिकार है। आप अपना मन, चित्त, बुद्धि और आकार दे दे और घोड़े पर सवार हो जाये। राजा शून्य की स्थिति में हो गये। उन्हें अल्पसमय में आत्म शाति मिली कि मन पर नियंत्रण से ही आत्म ज्ञान संभव है। मन, चित, बुद्धि और अहंकार के कारण ही संसार के भोग में मानव भटकता है।

 

About Post Author