June 23, 2025

*फूल बनकर मुस्कुराना जिंदगी है* *गम को भूल कर मुस्कुराना जिंदगी है*

IMG-20220627-WA0012

*फूल बनकर मुस्कुराना जिंदगी है*
*गम को भूल कर मुस्कुराना जिंदगी है*

गाजीपुर। जिला पत्रकार समिति के कार्यालय सिद्धेश्वर नगर कॉलोनी में रविवार की देर शाम प्रेरणा हिंदी प्रचार सभा एवं मिशन जामवंत के तत्वावधान में वंदे मातरम कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन वरिष्ठ पत्रकार/समिति के अध्यक्ष सूर्य कुमार सिंह के स्वागत-संरक्षण और कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के संयोजन/संचालन में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ भाजपा रेहड़ी पटरी व्यापार प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र के संयोजक श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश एवं हास्य कवि डा. अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी ने किया। मुख्य अतिथि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर सुभाष चंद्र, शशांक शेखर त्रिपाठी एडवोकेट, राकेश चंद्र पाठक महाकाल ने वरिष्ठ कवि अनंत देव पांडेय की अध्यक्षता में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों को वंदे मातरम सम्मान भेंट किया।

तत्पश्चात कवि सम्मेलन की शुरूआत डा. अजीत श्रीवास्तव चपाचपा बनारसी ने की। उनकी रचना राम ना बिगडि़हें जेकर, केहू का बिगाड़ी, रोकी केहू केतनों पर खींचत रही गाड़ी, हास्य रचना लाल टमाटर देहरादून काट राजा दून्नू जून, का करिहें कोतवाल सिपाही चूसेलन जनता क खून। इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक ने तड़प रहे है, भूख से तेरी धरती पर इंन्सान, ये कैसी आजादी, ये कैसा हिंदुस्तान।

चिंतित बनारसी अपने ही घर में जैसे गुनाहगार हो गए, बाबा श्री विश्वनाथ गिरफ्तार हो गए, फायर बनारसी ने खेतों और खिलहानों में हम बारूद बम उगायेंगे, ओमप्रकाश पांडेय निर्भय ने हिन्दू ना मर रहा है, ना मुसलमान मर रहा है, हिंदुस्तान का हर इंसान मर रहा है। दिलीप चौहान बागी ने जब हिन्द की हुकूमत गोरों की हो गई, हिन्दुस्तानियों को गोरे सताने लगे, कृष्णानंद दूबे गोपाल ने ना हास्य लिखता हूं ना श्रृंगार लिखता हूं, मैं अपने दिलों का उदगार लिखता हूं।

यशवंत यादव ने अमर शहीदों का करना सम्मान गाजीपुर, तिरंगे में लिपटकर देख तेरा ये लाल आया है, नालायक कहती थी, जिसको वतन के काम आया है। जहां राष्ट्रभक्ति की रचना ओमप्रकाश पांडेय निर्भीक ने सुनाया, वही हिंदू न मर रहा ना मुसलमान मर रहा है, अपने हिन्दुस्तान का इंसान मर रहा है और आओ मानवता की खाई मिलकर पाटेंगे, सुख-दुख में ही आपस में मिलकर बाटेंगे पर खूब तालियां बटोरी। फायर बनारसी और ओम प्रकाश ने गंगा मां रो-रो कर कहती हमें नहीं बहना और बोलो कहां गए भगवान के भावपूर्ण प्रस्तुति को सभी ने सराहा।

पारसनाथ जायसवाल चिंतित बनारसी ने फक्र से कहो वंदे मातरम, वरना कह दो कि हम बिना मां के हैं के क्रम में महाकाव्य रचयिता कामेश्वर द्विवेदी द्वारा प्रस्तुत गीत क्यों प्रीति घट हो गया रीत है, क्यों खो गया हृदय का गीत खुब सराहा गया। कृष्णानंद दूबे गोपाल की प्रस्तुति आज इंसान क्यों बन रहा है हैवान और तारीफ अपनी-अपने सुनाने लगे है, लोग धूप में पसीना सुखाने लगे हो को श्रोताओं ने पसंद किया।

वहीं प्रख्यात कवि दिनेश शर्मा शहीदों के चिराग को गुलशन से बिखरते देंगे के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति से प्रेरित औषधीय पंडित रंग बहादुर सिंह की रचना वीर देश के वीर सिपाही भारत मां की शान, भारत देश हमारा फहरे नभ में राष्ट्र निशान, हम भारतवासी तन-मन-धन कुर्बान पर खूब तालियां बजी। हेमंत उपाध्याय निर्भीक की उत्प्रेरक रचना अब्दुल हमीद गाजीपुर का लाल था और भारत मां की हर बेटी झांसी वाली रानी है तथा अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी की हमारा तुम्हारा यह दावा गलत, न तुम लूटते हो न हम लूटते हैं और पानी में एक-एक दाल गिनवाने वाले है, चपाचप कहे अच्छे दिन आने वाले है पर खूब तालियां बटोरी।

वहीं श्रीप्रकाश श्रीवास्तव गणेश ने है किसी में बूता एक राष्ट्रीय पार्टी बने, जिसका चुनाव चिन्ह बने जूता सहित हास्य-व्यंग की प्रस्तुतियों पर श्रोता झूम उठे। वही डा. सुभाष द्वारा प्रस्तुत फूल बनकर मुस्कुराना जिंदगी है, गम को भूलकर मुस्कुराना जिंदगी है और कहां गए यह हरियाली कहां गई पेड़ों की डाली को सराहा गया। वहीं अध्यक्षीय रचना आदमी की जिंदगी अधूरी देखिए, आदमी से आदमी की दूरी देखिये, आदमी को आदमी का प्यार चाहिए।

अंत में मिशन जामवंत के राष्ट्रीय संयोजक/अध्यक्ष जिला पत्रकार समिति सूर्य कुमार सिंह ने सभी आगंतुकों से अपने-अपने गांव (मातृभूमि) पर उपलब्ध प्रबुद्ध बुजुर्गो, अवकाश प्राप्त विशेषज्ञों को जामवंत जी के रूप में संगठित कराकर गांवों में रह रहे युवाओं और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाली महिलाओं को हनुमान जी के रूप में उत्प्रेरित कराकर उनकी योग्यता, क्षमता और विशेषताओं के आधार पर देखा देखी पूण्य के तर्ज पर गैर सरकारी, असरकारी, स्वाभिमानी, समग्र विकास क्रम में अत्याधुनिक ऑर्गेनिक खेती, औषधीय खेती, पशुपालन के साथ-साथ कुटीर-लघु उद्योगों, लाभकारी सेवाओ और परंपरागत व्यवसायों के माध्यम से ग्रामस्वराज्य के सपने को साकार करना आज की अनिवार्यता बताई।

वंदे मातरम काव्य गोष्ठी का उत्प्रेरक एवं गुरूत्तर संचालन इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने किया। वहीं काव्य गोष्ठी और सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि डा. कुलपति तिवारी महंत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर काशी के कर कमलों द्वारा 25 ख्यातिलब्ध कवियों, शायरों और उत्कृष्ट बुद्धिजीवी/विशेषज्ञों को सम्मानित किया गया। गोष्ठी में प्रमुख रूप से कुंज बिहारी, रजनीश कुमार, अजय मिश्रा, डा. रणवीर सिंह, डा. विजय नरायण तिवारी, विजय प्रकाश यादव, अवधेश कुमार राय, उमेश चंद्र, उद्यान पंडित अरविंद कुमार सिंह, प्रभु नारायण सिंह सहित दर्जनों प्रबुद्धजन, समाजसेवी व विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

गाजीपुर का लाल था और भारत मां की हर बेटी झांसी वाली रानी है तथा अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी की हमारा तुम्हारा ये दावा गलत, न तुम लूटते हो न हम लूटते हैं और पानी में एक-एक दाल गिनवाने वाले है, चपाचप कहे अच्छे दिन आने वाले है पर खूब तालियां बटोरी। वहीं श्रीप्रकाश श्रीवास्तव गणेश ने है किसी में बूता एक राष्ट्रीय पार्टी बने, जिसका चुनाव चिन्ह बने जूता सहित हास्य-व्यंग की प्रस्तुतियों पर श्रोता झूम उठे। वही डा. सुभाष द्वारा प्रस्तुत फूल बनकर मुस्कुराना जिंदगी है, गम को भूलकर मुस्कुराना जिंदगी है और कहां गए यह हरियाली कहां गई पेड़ों की डाली को सराहा गया।

वहीं अध्यक्षीय रचना आदमी की जिंदगी अधूरी देखिए, आदमी से आदमी की दूरी देखिये, आदमी को आदमी का प्यार चाहिए। अंत में मिशन जामवंत के राष्ट्रीय संयोजक/अध्यक्ष जिला पत्रकार समिति सूर्य कुमार सिंह ने सभी आगंतुकों से अपने-अपने गांव (मातृभूमि) पर उपलब्ध प्रबुद्ध बुजुर्गो, अवकाश प्राप्त विशेषज्ञों को जामवंत जी के रूप में संगठित कराकर गांवों में रह रहे युवाओं और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाली महिलाओं को हनुमान जी के रूप में उत्प्रेरित कराकर उनकी योग्यता, क्षमता और विशेषताओं के आधार पर देखा देखी पूण्य के तर्ज पर गैर सरकारी, असरकारी, स्वाभिमानी, समग्र विकास क्रम में अत्याधुनिक ऑर्गेनिक खेती, औषधीय खेती, पशुपालन के साथ-साथ कुटीर-लघु उद्योगों, लाभकारी सेवाओ और परंपरागत व्यवसायों के माध्यम से ग्रामस्वराज्य के सपने को साकार करना आज की अनिवार्यता बताई। वंदे मातरम काव्य गोष्ठी का उत्प्रेरक एवं गुरूत्तर संचालन इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने किया।

वहीं काव्य गोष्ठी और सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि डा. कुलपति तिवारी महंत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर काशी के कर कमलों द्वारा 25 ख्यातिलब्ध कवियों, शायरों और उत्कृष्ट बुद्धिजीवी/विशेषज्ञों को सम्मानित किया गया। गोष्ठी में प्रमुख रूप से कुंज बिहारी, रजनीश कुमार, अजय मिश्रा, डा. रणवीर सिंह, डा. विजय नरायण तिवारी, विजय प्रकाश यादव, अवधेश कुमार राय, उमेश चंद्र, उद्यान पंडित अरविंद कुमार सिंह, प्रभु नारायण सिंह सहित दर्जनों प्रबुद्धजन, समाजसेवी व विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

About Post Author