June 25, 2025

विशेषज्ञों ने सर्वाईकल कैंसर के इलाज के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के टीके की बिक्री को मंजूरी देने की सिफारिश की

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विशेषज्ञों ने सर्वाईकल कैंसर के इलाज के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के टीके की बिक्री को मंजूरी देने की सिफारिश की

भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण के एक विशेषज्ञ पैनल ने बुधवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ स्वदेश में विकसित भारत के पहले क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (क्यूएचपीवी) के निर्माण के लिए बाजार विपणन की मंजूरी देने की सिफारिश की।

आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।

एसआईआई के निदेशक (सरकार एवं नियामक मामले) प्रकाश कुमार सिंह ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) के पास आठ जून को क्यूएचपीवी की बाजार विपणन मंजूरी के लिए आवेदन दिया था। देश में इसकी शीघ्र उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग के समर्थन से क्लिनिकल परीक्षण के तीन में से दो चरणों को पूरा करने के बाद ऐसा किया गया था। जानकारी देते हुए आधिकारिक सूत्र ने कहा कि कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति ने इसके उपयोग पर बुधवार को चर्चा की। उसने सीरम इंस्टीट्यूट को सर्वाइकल कैंसर रोधी क्यूएचपीवी का विनिर्माण करने के लिए बाजार विपणन मंजूरी प्रदान करने की सिफारिश की है।

सूत्रों ने कहा कि एसआईआई ने बुधवार को इस टीके के डेटा और उपयोगिता की समीक्षा के लिए एनटीएजीआई द्वारा अलग से गठित डॉ एनके अरोड़ा की अध्यक्षता में एचपीवी के कार्यकारी समूह के समक्ष एक प्रस्तुति भी दी थी। डीसीजीआई की विषय विशेषज्ञ समिति ने सीरम संस्थान के स्वदेशी रूप से विकसित क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस (क्यूएचपीवी) वैक्सीन की सिफारिश 9 वर्ष से 26 वर्ष से अधिक उम्र के सर्वाइकल कैंसर के पुरुष और महिला रोगियों के लिए की है।

लाखों महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर

एसआईआई में सरकार और नियामक मामलों में निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने डीसीजीआई को सौंपे आवेदन में कहा है कि सर्ववैक वैक्सीन ने मजबूत एंटीबाडी रिस्पांस दिखाया है जो सभी प्रकार के लक्षित एचपीवी और डोज व आयु समूहों आधार पर लगभग एक हजार गुना अधिक है। आवेदन में सिंह ने कहा कि हर साल लाखों महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के साथ-साथ कुछ अन्य कैंसर का पता चलता है और मृत्यु अनुपात भी बहुत अधिक है। भारत में सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में दूसरा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है।

अभी विदेशी निर्माताओं पर निर्भर है भारत

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारा देश एचपीवी वैक्सीन के लिए पूरी तरह से विदेशी निर्माताओं पर निर्भर है। सीईओ डॉ अदार सी पूनावाला के नेतृत्व में हम इसे देश में ही उपलब्ध कराने का कर रहे हैं। उच्च गुणवत्ता वाले ‘मेड इन इंडिया’ टीके बड़े पैमाने पर हमारे देश और दुनिया के लोगों के लिए सस्ती कीमत पर देश में ही उपलब्ध होगी। उन्होंने आवेदन में कहा कि कई अन्य स्वदेशी जीवन रक्षक टीकों की तरह हम भारत के पहले स्वदेशी जीवन रक्षक क्यूएचपीवी वैक्सीन के लिए भी अपने देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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