अग्नि वायुमंडल में व्याप्त रोग के कीटाणुओं का नाश कर देती हैःगिरिराज
1 min readअग्नि वायुमंडल में व्याप्त रोग के कीटाणुओं का नाश कर देती हैःगिरिराज
”खुरपी विलेज” पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
गाजीपुर। आर्य समाज व पतंजलि योग समिति के संयुक्त तत्वाधान में अगस्ता स्थित उम्मीद फाउंडेशन द्वारा स्थापित ”खुरपी विलेज” में रविवार को योग, प्राणायाम्, आयुर्वेद एवं एलोपैथ चिकित्सा के साथ ही यज्ञ और सत्संग का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर आजमगढ़ से आए वैदिक प्रवक्ता आचार्य गिरिराज ने कहा कि हम सभी प्रकार की चिकित्सा प्रकृति द्वारा प्राप्त वनस्पति व औषधियों को यज्ञ में डालकर कर सकते हैं।
कहा कि अग्नि का यह गुण है कि औषधियों को सुक्ष्म करके वायुमंडल में व्याप्त रोग के कीटाणुओं का नाश कर देती है और श्वसन के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंचकर भी वैक्टीरिया का नाश करती है अतः हमें गाय के शुद्ध घी एवं रोग नाशक आयुर्वेदिक वनस्पतियों का प्रयोग कर प्रतिदिन 16 आहुति यज्ञ कुंड में डालना चाहिए, जिससे परिवार के अंदर किसी प्रकार के रोग की आशंका से बचा जा सकता है।
यह कर्म प्रत्येक परिवार को प्रतिदिन करना चाहिए। पतंजलि के जिला प्रभारी जयप्रकाश योगी ने योग व प्राणायाम के विभिन्न मुद्राओं की जानकारी देते हुए कहा कि हम प्रतिदिन योग और प्राणायाम के माध्यम से अपने शरीर के अंदर व्याप्त दूषित पदार्थों को बाहर निकाल देते हैं, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ व मजबूत बना रहता है।
अतः प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन प्रातः योग और प्राणायाम निश्चित रूप से करना चाहिए। कार्यक्रम में खुरपी गांव के संस्थापक सिद्धार्थ राय का स्वास्थ्य अनुकूल न होने के कारण उपस्थित नहीं पाए, उनकी अनुपस्थिति में कार्यक्रम को बड़े ही सुंदर ढंग से सुव्यवस्थित करने में शुभम पांडेय व राहुल राय के योगदान के साथ ही रिलायंस फाउंडेशन द्वारा एलोपैथी चिकित्सा द्वारा निःशुल्क जांच व दवा वितरण का कार्य डा. राज पांडेय व डा. प्रमोद शर्मा तथा शशि भूषण आदि के सहयोग से संपन्न हुआ। इस अवसर पर आर्य समाज के पदाधिकारियों में डा. गोविंद आर्य, राकेश जयसवाल, संतोष जयसवाल, मोहन प्रसाद गुप्ता व सत्यम आदि मौजूद रहे।
अंत में आर्य समाज के प्रधान आदित्य प्रकाश ने सभी आगंतुकों व शिविर को सफल बनाने में अपना योगदान देने वाले सभी स्वयंसेवकों के प्रति आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही ऋषि दयानंद द्वारा रचित आर्य समाज का प्रमुख ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश देकर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात सभी ने प्रभु रसोई द्वारा निर्मित प्रभु का प्रसाद ग्रहण किया।